शामली, वास्तविकता का ज्ञान ही विज्ञान है जैसे कि कुछ प्राकृतिक सत्य जो हमेशा सत्य रहता है उन्हें हम पहले से ही सत्य मानते थे लेकिन आज उसकी सम्पूर्ण सच्चाई से अवगत होना ही विज्ञान है


शामली, वास्तविकता का ज्ञान ही विज्ञान है जैसे कि कुछ प्राकृतिक सत्य जो हमेशा सत्य रहता है उन्हें हम पहले से ही सत्य मानते थे लेकिन आज उसकी सम्पूर्ण सच्चाई से अवगत होना ही विज्ञान है। जैसे पानी उबलता है सभी को सदियों से पता है लेकिन पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर उबलता है,


यह सम्पूर्ण वास्तविकता है। ये पता चलना ही विज्ञान है। पहले मानव जाति मानती थी कि पृथ्वी स्थिर है जबकि सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है, किन्तु कई वर्षो के शोध से पता चला है कि ये सत्य नहीं है, बल्कि पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है। यह पता चलना ही विज्ञान है। इस प्रकार हम संक्षेप में कह सकते है

 कि प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार अवलोकन अध्ययन और प्रयोग करने से मिलती है जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिए किये जाते है। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी को चाहिए कि वह विद्यालय में समय-समय पर आयोजित की जाने वाली विज्ञान वर्कशाप में प्रतिभाग कर अपने अन्दर तकनीकि कौशल का विकास कर सकें। उक्त उद्गार सेन्ट आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल शामली में आयोजित ‘‘स्फिग्मोमेनो मीटर मैकिंग कार्यशाला’’ (ब्लड़ प्रेशर मापने की मशीन) के आयोजन के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि श्री अरविन्द संगल, निवर्तमान चेयरमैन, नगर पालिका शामली ने व्यक्त किये तथा मॉ सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया ।


हरिद्वार की विज्ञान तकनीकि फाउण्डेंशन ऑफ इण्डिया के मैनेजर श्री मयंक शर्मा व उनकी 10 इंजीनियर्स की टीम के द्वारा कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के छात्र/छात्राओं को स्फिग्मोमेनोमीटर (ब्लड़ प्रेशर मापने की मशीन) बनाना सिखाया गया व विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। उन्होंने छात्रों को स्फिग्मोमेनोमीटर बनाते हुए बताया कि स्फिग्मोमेनोमीटर वह यंत्र है जिसके द्वारा धमनी के रक्तचाप को निर्धारण किया जाता है। आज मानव जगत में सबसे ज्यादा समस्या बी0पी0 (ब्लड़ प्रेशर) की है जो कि एक भयंकर रूप धारण कर चुकी है आज हर परिवार में कोई ना कोई ब्लड़प्रेशर की बीमारी से ग्रसित है। इसकी जॉच करने वाला उपकरण ही स्फिग्मोमेनोमीटर (ब्लड़ प्रेशर मापने की मशीन) कहते है। यह मशीन कैसे कार्य करती है और डॉक्टर इसके द्वारा कैसे ब्लड़ प्रेशर नापते है और यह कब हाई व कब लौ होता है और किस प्रकार नार्मल होता है। इन सबकी जानकारी उक्त कार्यशाला में प्रदान की गयी।


स्फिग्मोमेनोमीटर विज्ञान कार्यशाला सत्र स्कूल प्रधानाचार्य श्री आदित्य कुमार के दिशा निर्देशन में सम्पन्न किया गया।        उन्होंने छात्र/छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जो हाई ब्लड़ प्रेशर की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है जो कि एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। इस समस्या की जानकारी बच्चों में पढ़ाई के साथ-साथ होना जरूरी हो गया है। इसलिए आज आपको स्फिग्मोमेनोमीटर के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए इस वर्कशाप का आयोजन किया गया है। इस वर्कशाप में 402 बच्चों ने स्फिग्मोमेनोमीटर (ब्लड़ प्रेशर नापने की मशीन) बनाई। 
इस अवसर पर वशिश निर्वाल, आलोक कुमार, अजय गोयल, अंशुल गुप्ता, मनीष मित्तल, रवि कुमार, शुभम कौशिक, कविता, सुरक्षा, निशा शर्मा, नीलम पराशर, सीमा जैन, अंजू, मीनू रानी, सुधांजलि, भावना शर्मा, राजीव सिंघल, उषा आर्या, प्रतिभा शर्मा, स्वाति, अंकित मित्तल, भारती, इशिता जैन, कनिका संगल, आशा सेठ, शेखर कपूर, अरविन्द चौधर आदि अध्यापक/अध्यापिकाएं उपस्थित रहे।

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