नमन उस महान योद्धा को जो स शेर सिंह से बना स उधम सिंह : बी एस बेदी


 भारत की आजादी के क्रांतिकारियों में एक ऐसे अनोखे वीर क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 पंजाब के जिला संगरूर गांव सुनांव में हुआ बचपन में उधम सिंह के सर से  माता पिता का साया उठ गया था जब महान योद्धा वीर बालक का जन्म हुआ था उस वक्त भारत अंग्रेजी गुलामी बेड़ियों की जकड़ में था जब देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए भारत में जगह-जगह अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए मोर्चाबंदी को लेकर सभाएं हो रही थी यूपी पंजाब बंगाल बिहार के क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंक दिया था सन 1919 में पंजाब के जलियां वाले बाग समस्त उत्तर भारत के क्रांतिकारियों ने एक सभा का आयोजन शांति पूर्वक किया जिसमें लग भाग  20000 भारतीय जलियां वाले बाग में एकत्र हुए
 उस वक्त एक बालक जिसकी उम्र लगभग 10 वर्ष जिसका नाम सरदार शेर सिंह था सभा में एकत्र हुए क्रांतिकारियों को पानी पिलाने की सेवा कर रहा था    पंजाब के गवर्नर जनरल माइकल ओ डायर ने  सभा कर रहे निहत्थे भारतीयों पर अंग्रेजी सेना ला कर तब आप और गोलियां दागना शुरू कर दिया  जलिया वाले बाग  का एक रास्ता होने के कारण  कोई भी भारतीय बाहर नहीं निकल सका   बाघ के अंदर एक कुआं था जिसमें सैकड़ों भारतीयों ने जान बचाने के लिए कुएं में छलांग लगा दी  कुआ लाशों से पट गया बाग में लाशों के ढेर लग गए   उस भीड़ में इस बालक ने अपने भारतीय भाइयों बहनों को मरते देखा  इस भयानक मंजर का बालक शेर सिंह और सरदार उधम सिंह के दिल और दिमाग पर इस
   घटना क्रम का गहरा असर हुआ  हत्यारे को जाने के बाद यह बालक अपने भारतीयों की लाशों को एकत्र करने लगा और बाग की मिट्टी को लेकर कसम खाई जब तक मैं अपने भाइयों का बदला नहीं ले लूंगा   तब तक मेरी जिंदगी का मकसद पूरा नहीं होगा  जिस बालक का खेलने का बचपन  समझो उसने कितनी बड़ी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली  उधम सिंह के आगे जीव का चलाने के लिए आर्थिक तंगी  आने लगी एक ढाबे पर झूठे बर्तन साफ करने की नौकरी की अनाथालय में रहना पड़ा उसके बाद फिर बढ़ई का काम सीखा और पढ़ाई भी साथ-साथ जारी रखें जैसे-जैसे बड़े होते गए  भयानक मंजर सामने आता गया  और अपने मकसद की घड़ी का इंतजार होता गया  हत्याकांड के बाद अंग्रेजी सरकार ने माइकल ओ डायर को तबादला कर लंदन भेज दिया  सरदार शेर सिंह बड़े हुए अपना मकसद पूरा करने के लिए लंदन जाने की तैयारी में जुट गए सन 1933 में पासपोर्ट बनवाने के लिए सरदार शेर सिंह से अपना नाम सरदार उधम सिंह रख लिया और उधम सिंह के नाम से पासपोर्ट बनवा कर लंदन रवाना हो गए भारत मां के इस वीर सपूत ने 13 मार्च 1940 लंदन के कै क्स टन हाल
  में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की एक सभा चल रही थी  21 वर्ष के बाद हजारों भारतीयों की जान का बदला लेने की घड़ी का समय नजदीक आ चुका था कुछ ही पल बचे थे हत्यारे माइकल ओ डायर का काल बनकर भारत से लंदन जाकर सरदार उधम सिंह उस सभा में बैठे थे   सभा की ओर से माइकल ओ डायर को जलिया वाले बाग कांड के लिए सम्मानित के लिए जैसे डायर खड़ा हुआ सरदार उधम सिंह खड़े होकर बड़े आराम से उसके नजदीक जाकर अपनी किताब से पिस्तौल निकालकर हत्यारे के सीने में दाग दी डायल वहीं ढेर हो गया  सरदार उधम सिंह भागे नहीं और अंग्रेजी अधिकारियों से कहा मैंने अपनी कसम को पूरा किया मेरा मकसद जनरल डायर को मौत के घाट उतारना था अपने भारतीयों का बदला लेना था अब आप अपना कार्य करें अदालत में पेश किया गया जज ने पहला प्रश्न किया उधम सिंह आप गोली मारने के बाद चाहते तो आराम से भाग सकते थे उधम सिंह ने बड़ी वीरता से जवाब दिया जज साहब जिस भारत की माटी पर में पैदा हुआ हूं
वहां के लोग पीठ दिखाकर भागा नहीं करते जरूरत आने पर सीने पर गोलियां खाया करते हैं  ऐसा इतिहासकार बताते हैं के फांसी के वक्त सरदार उधम सिंह ने जल्लादों को एक तरफ कर दिया था अपने चेहरे पर नकाब भी नहीं लगाने दिया  21 वर्ष बाद अपने भारतीयों का बदला लेकर सरदार उधम ने दिल में चल रही आपको ठंडा किया 31 जुलाई सन 1940 को लंदन के पेन टनविले जेल में अपने हाथों से फांसी के फंदे को गले में डालकर वीरगति को प्राप्त हो गए और लंदन के इतिहास में भारत की वीरता का नाम दर्ज कर आ गए हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर चढ़ गए
 दुर्भाग्य रहा जो देश ऐसे महान वीरों को भूलता जा रहा है आज हम बड़े-बड़े नेताओं की जयंती या मनाते हैं अफसोस होता है इस देश के लिए देशवासियों के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर इस देश की विरासत सौंप गए आज पता नहीं चलता कब किस क्रांतिकारी की जयंती या बलिदान दिवस आया
संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन ने उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट को भारत के महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह के नाम पर रखने की मांग प्रदेश सरकार व भारत सरकार से लगभग 2 वर्ष से करती आ रही है  इसके लिए अपने भारत की आवाम से बिना किसी भेदभाव के समर्थन की हम  आपसे आशा करते हैं
कोटि कोटि नमन क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन

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