झिंझाना 8 नवंबर । ।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराए जाने का विधान है। फल स्वरूप शुक्रवार को श्री राधाकृष्ण शिव मंदिर तीतरौ वाली धर्मशाला मे मंदिर के पुरोहित पं वाशूदेव सेमवाल के नेतृत्व में तुलसी विवाह के अंतर्गत सर्वप्रथम विष्णु भगवान का अभिषेक कर पूजन हवन किया गया।
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिपूर्वक विवाह कराया गया। तुलसी विवाह कथा प्रसंग को बताते हुए पुरोहित सेमवाल ने नारद पुराण के हवाले से बताया कि एक समय प्राचीन काल में दैत्यराज जलंधर का तीनों लोक में अत्याचार बढ़ गया था।
उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि, देवता गण और मनुष्य बेहद परेशान और दुखी थे। जलंधर बड़ा ही वीर और पराक्रमी था। इसका सबसे बड़ा कारण था उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। इस कारण से वह पराजित नहीं होता था। एक बार देवता उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान विष्णु की शरण में रक्षा के लिए गए।
तब भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का उपाय सोचा। उन्होंने माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया ।और वृंदा को स्पर्श कर दिया। वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग होते ही जलंधर देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया था। कार्यक्रम में श्रीमती राजबाला शालू को सॉन्ग संगीता रविता आधे महिलाओं ने श्रद्धालुओं के साथ तुलसी विवाह कार्यक्रम में भाग लिया।
प्रेम चन्द वर्मा
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराए जाने का विधान है। फल स्वरूप शुक्रवार को श्री राधाकृष्ण शिव मंदिर तीतरौ वाली धर्मशाला मे मंदिर के पुरोहित पं वाशूदेव सेमवाल के नेतृत्व में तुलसी विवाह के अंतर्गत सर्वप्रथम विष्णु भगवान का अभिषेक कर पूजन हवन किया गया।
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि पर शुभ मुहूर्त में तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिपूर्वक विवाह कराया गया। तुलसी विवाह कथा प्रसंग को बताते हुए पुरोहित सेमवाल ने नारद पुराण के हवाले से बताया कि एक समय प्राचीन काल में दैत्यराज जलंधर का तीनों लोक में अत्याचार बढ़ गया था।
उसके अत्याचार से ऋषि-मुनि, देवता गण और मनुष्य बेहद परेशान और दुखी थे। जलंधर बड़ा ही वीर और पराक्रमी था। इसका सबसे बड़ा कारण था उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। इस कारण से वह पराजित नहीं होता था। एक बार देवता उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर भगवान विष्णु की शरण में रक्षा के लिए गए।
तब भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का उपाय सोचा। उन्होंने माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया ।और वृंदा को स्पर्श कर दिया। वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग होते ही जलंधर देवताओं के साथ युद्ध में मारा गया था। कार्यक्रम में श्रीमती राजबाला शालू को सॉन्ग संगीता रविता आधे महिलाओं ने श्रद्धालुओं के साथ तुलसी विवाह कार्यक्रम में भाग लिया।
प्रेम चन्द वर्मा
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