लोकतंत्र असफल क्यों ?

VOICE OF DR. KHANDELA



लोकतंत्र असफल क्यों  ?

      भारतीय लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ व्यवस्थाओं में से एक है लेकिन केवल कागजों में सैद्धांतिक रूप से व्यवहार में नहीं


    . इसके लिए महत्वपूर्ण कारण हैं आम जनता की गुलामी की मानसिकता, शासक को मालिक समझने की भूल, जो पब्लिक सर्वेंट हैं उनको पब्लिक का मालिक बना देने की मजबूरी ,सामान्य जनप्रतिनिधि को असामान्य सम्मान , पार्षद जैसे व्यक्ति को हर मौके पर मालाओं से लाद देने ,
हर कार्यक्रम में उसको महत्व देने, उसकी अक्रमणता, संवेदनहीनता, ज्ञात भ्रष्ट हरकतों को भी उजागर नहीं करने ,उसको हर मामले का ज्ञाता मान लेने, सामाजिक ,धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उसको उच्चतर स्थान पर बैठाने, उस पर कभी प्रश्न खड़े नहीं करने ,उसके वचनों को साधु संतों के प्रवचनों से भी अधिक महत्व देने, चमचागिरी की हद तक उनके साथ बड़े आदमी जैसा व्यवहार करने
      जबकि हर जनप्रतिनिधि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार पब्लिक का सर्वेंट है
      क्योंकि वह सरकारी खजाने से वेतन, भत्ते, सुविधाएं और सेवानिवृत्ति लाभ उसी प्रकार लेता है जिस प्रकार सरकारी कर्मचारी

     उस पर सरकारी कर्मचारी की तरह की अनुशासनहीनता, अकर्मण्यता, उत्तरदायित्वहीनता, कर्तव्य से दूरी, समयबद्ध तरीके से कार्य निष्पादित नहीं करने जैसे आरोपों में कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए  ?

    यह जनता का अधिकार है कि उस पर कार्रवाई हो लेकिन जनता अगर खुद ही इसके लिए कोई मांग नहीं करें तो व्यवस्था तो नहीं सुधर सकती है

    लोकतंत्र में मान लेना चाहिए लोक तंत्र के हमेशा नीचे रहता है लेकिन दुर्भाग्य से आज तंत्र के नीचे लोक के रहने की मानसिकता स्वीकार कर ली है

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