कैराना। नगर पालिका में बजट बोर्ड की बैठक को लेकर विवाजन बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष 1 अप्रैल तक नगर पालिका द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है, लेकिन इस बार स्थिति सामान्य से भिन्न है। नगर पालिका के प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और जवाबदारी की कमी के कारण बजट बोर्ड की बैठक अब तक नहीं बुलाई गई है, जिससे नागरिकों में असंतोष व्याप्त है।
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उत्तर प्रदेश नगरपालिका अधिनियम, 1916 की धारा 99 के अनुसार, प्रत्येक नगरपालिका को अगले वित्तीय वर्ष के बजट को 31 मार्च तक प्रस्तुत करना होता है। इसके तहत नगर पालिका को अपने वास्तविक और प्रत्याशित प्राप्तियों और व्यय का विवरण तैयार कर बैठक में प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस बार पालिका अधिकारियों ने नियमों का पालन नहीं किया है।
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स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बजट में देरी से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। नगर पालिका द्वारा संचालित परियोजनाएँ, जैसे जल आपूर्ति, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, और नगरीय परिवहन, सभी उद्देश्य अधर में लटक गए हैं। नागरिकों की उम्मीदें नगर पालिका से थीं कि वे समय पर कार्य करेंगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
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स्थानीय राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता इस मुद्दे पर मुखर हो गए हैं। स्थानीय नेता आरोप लगा रहे हैं कि नगरपालिका का प्रशासन सुस्त हो गया है। नेता ने कहा, "यह केवल बजट की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रशासन की निष्क्रियता का परिणाम है।"
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कैराना के नागरिक अब नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं। स्थानीय निवासी देवेंद्र ने कहा, "हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी की जा रही है। ऐसा लगता है कि नगरपालिका को हमारी समस्याओं की चिंता नहीं है।"
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इस बीच, नगर पालिका के उच्च अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि बजट बोर्ड की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। लेकिन नागरिक और स्थानीय नेता इस आश्वासन पर हंसी में केवल एक संदेह की लकीर खींचते हैं। जब तक नगर पालिका अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए आवश्यक कार्रवाई नहीं करती, तब तक कैराना के नागरिक ऐसे ही असंतोष और बलबूते की स्थिति में फंसे रहेंगे।
उम्मीद है कि प्रशासन समय पर कदम उठाए ताकि बजट को लेकर कोई और विवाद न हो और नागरिकों की सुविधाएं बहाल हो सकें। रिपोर्टें गुलवेज आलम
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