पिछले दो वर्षों का मेरा सफर मिठास की नगरी मुज़फ्फरनगर में बीता — यह अनुभव मेरे जीवन के सुनहरे अध्यायों में हमेशा के लिए अंकित रहेगा। यहाँ तैनाती के दौरान बतौर उप-जिलाधिकारी मेरी प्राथमिकता रही कि जनता की समस्याओं का समाधान शीघ्र, न्यायपूर्ण और संतोषजनक तरीके से हो। मैंने यह संकल्प लिया कि मेरे कार्यालय में आने वाला कोई भी फरियादी मायूस या निराश होकर न लौटे — और जनता का विश्वास जीतना मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
मुज़फ्फरनगर में बिताया यह समय न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानवीय संबंधों के लिहाज़ से भी बेहद खास रहा। यहाँ के लोगों की सादगी, अपनापन और सहयोग भावना ने मुझे गहराई से छुआ। चाहे संकट के क्षण हों या विकास योजनाओं का क्रियान्वयन — सहयोगियों और नागरिकों ने हर कदम पर मेरा साथ दिया।
अब, जब मेरा कार्यकाल यहाँ समाप्त हो चुका है, तो मुझे नए जनपद में नई जिम्मेदारियाँ सँभालने का अवसर मिला है। नए स्थान पर नई चुनौतियाँ और अवसर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। एक ओर इस नए सफर के लिए उत्साह है, तो दूसरी ओर मुज़फ्फरनगर को अलविदा कहते समय मन भारी भी हो गया।
मुज़फ्फरनगर की यादें, यहाँ का अपनापन और सेवा के दौरान बने रिश्ते हमेशा मेरे दिल में बसे रहेंगे। मैं नए जनपद में भी पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ कार्य कर, जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूँगी।
अंत में, मैं यही कहूँगी — स्थान बदलते हैं, जिम्मेदारियाँ बदलती हैं, पर सेवा का उद्देश्य और जनता के प्रति समर्पण हमेशा अटूट रहता है।
✍️ मोनालिसा जौहरी
उप-जिलाधिकारी, बहराइच
📌 समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से पत्रकार ज़मीर आलम की रिपोर्ट
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