भगवान तो सचिदानन्द स्वरूप हैं वें सदा, नित्य और आनंद स्वरुप हैं: आचार्य चंचल शर्मा जी

शामली। श्री मंदिर हनुमान टीला, हनुमान धाम पर श्रीमद भागवत कथा की अमृत वर्षा करते हुए व्यास पीठ से आचार्य चंचल शर्मा जी ने कहा कि भगवान आनन्द  स्वरूप हैं। वें नित्य हैं अर्थात उनका जन्म नहीं होता बल्कि उनका प्रकटी करण होता है, अवतार होता है। वें सत्य चित्त हैं। श्री राजकुमार मित्तल जी, सचिव हनुमान धाम ने दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ किया।मंच संचालन श्री सुधीर मुंडेपी जी ने किया। षोडशोपचार पूजन आचार्य श्री हिमांशु मुंडेपी जी के द्वारा सम्पन्न कराया गया। मुख्य अतिथि के आसन को श्री प्रतीक गर्ग जी  सदस्य खेल मंत्रालय भारत सरकार तथा  श्री गोलू शर्मा  जिला पंचायत शामली ने सुशोभित किया । आज की कथा में  जनपद शामली के सूर्य के समान देदीप्यमान कथा वाचक  गुरुवर श्री अरविन्द द्रष्टा जी महाराज जी भी कथा का आनंद लेने के लिये तथा अपने प्रवचनों से  भक्तों को सराबोर करने के उपस्थित हुए। कथा में प्रवचन करते श्री चंचल शर्मा जी ने भगवान के अवतारों का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान के  चौबीस अवतार हुए हैं किन्तु मुख्य रूप से उनके दस अवतार ही माने गये हैं। मुख्य यजमान श्री रामबीर राठी जी, मन्नु जी व अंकित गोयल जी रहे। मुख्य रूप से अनिल कश्यप, घनश्याम सारस्वत, अमित मित्तल, निखिल गोयल, रोबिन गर्ग, तुषार धीमान ,विक्रांत धीमान, वैभव बंसल, वंश गोयल, सागर मालिक,सत्यम अग्रवाल, परमपूज्य माता शशि शर्मा जी तथा छवि शर्मा आदि उपस्थित रहे।ज़िला ब्यूरो शौकीन सिद्दिकी शामली /कैमरामैन रामकुमार चौहान शामली
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