केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन कराने में नाकाम रहा प्रशासन


⭐उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय मुजफ्फरनगर के सामने जिला प्रशासन हो या प्रदेश सरकार या हो केंद्र सरकार हर कोई बोना साबित


⭐यहां कोई आज बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित है वही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुजफ्फरनगर के अधिकारियों के लिए हो रहा है वरदान साबित


⭐खुलेआम प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर वसूली जा रही है मोटी रकम


⭐जनपद मुजफ्फरनगर शामली के जिलाधिकारियों की चुप्पी  भी अपने आप में एक बड़ा सवाल


⭐जानकार सूत्रों की मानें तो अधिकारियों या नेता हर किसी में होती है बंदरबांट


⭐प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पनप रहे भ्रष्टाचार के चलते लोगों का जीना हुआ दुश्वार


⭐आबादी में चल रहे गन्ना कोल्हू से जहां ग्रामीण परेशान वही स्कूल के बच्चों का भी जीना हुआ दुश्वार


⭐जनपद मुजफ्फरनगर के एक-एक गांव में है 50 से 60  गन्ना कोल्हू जो चल रहे हैं आबादी के बीचो-बीच अब आप अंदाजा लगा सकते हैं क्या हालत होगी उस गांव के ग्रामीणों की


⭐स्कूल ,आंगनवाड़ी केंद्रों के निकट भी चल रहे हैं दोनों जनपदों में गन्ना कोल्हू व अन्य फैक्ट्रियां नहीं दे रहा कोई भी अधिकारी ध्यान



⭐एक गन्ना कोल्हू से ₹25000 से लेकर वसूले जाते हैं ₹50000 प्रति सीजन


⭐शिकायत आने पर अलग से देना होता है सुविधा शुल्क


⭐जन दोनों जनपदों की अन्य इकाइयों को छोड़ दिया जाए तो मात्र गन्ना कोल्हू से ही होती है करोड़ों की अवैध  उगाही 


⭐क्योंकि दोनों जनपदों में चल रहे हैं 500 से अधिक गन्ना कोल्हू


⭐प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए जिला स्तर पर चलती है बैठकों की नौटंकी


 ⭐यदि ग्रामीणों द्वारा की जाती है शिकायत तो नोटिस ओं का दौर भी चलता है लेकिन नहीं होती कोई कार्रवाई


⭐खुलेआम इस तरह बच्चों एवं ग्रामीणों के जीवन से हो रहे खिलवाड़ पर अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी एक बड़ा सवाल


⭐पिछले सत्र में जनपद शामली के ग्राम टिटौली के एक गन्ना कोल्हू पर 5 बार जांच कर दोषी पाते हुए 5 बार भेजे गए नोटिस लेकिन आज तक नहीं हुई कोई कार्रवाई


⭐इतने बड़े सबूत के बावजूद भी अधिकारियों की चुप्पी इशारा करती है कि करोड़ों की अवैध उगाही में होती है बंदरबांट तभी तो हर कोई है चुप


(शामली )



या आज के मौसम में प्रदूषण के चलते लोगों का जीना दुश्वार हुआ है जिसके चलते दिल्ली सरकार के द्वारा तो स्कूलों को बंद कर दिया गया ऐसे ही केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई कार्ड लाइनों के साथ-साथ प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाता दिख रहा है उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय मुजफ्फरनगर इतना ही नहीं इस कार्यालय में कार्यरत सभी वरिष्ठ कर्मचारी एवं अधिकारियों के आगे दोनों ही जनपद के जिला अधिकारी भी बौने साबित हो रहे हैं और हो भी क्यों ना विभाग में भ्रष्टाचार इतने बड़े स्तर पर है कि उनके विरुद्ध कोई भी बोलने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता जिसका जीता जागता उदाहरण है कि सबको पता होने के बावजूद भी लोगों के जीवन के साथ खुलेआम हो रहा है खिलवाड़


, बच्चा हो बुजुर्गों महिला हो या हो जहां हर कोई जहरीली हवा में सांस लेने को हो रहा है मजबूर और इन सब के पीछे है सिर्फ अवैध कमाई जिसके कारण आज हर कोई परेशान है और शिकायत करने के बावजूद भी नहीं हो रही कार्रवाई जहां अधिकारियों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण को लेकर बड़े-बड़े दावे और बड़ी-बड़ी मीटिंग रखी जाती है लेकिन धरातल पर केवल अवैध उगाही के अलावा केवल कार्रवाई समाचार पत्रों तक ही सीमित रहती है किसी को भी किसी के स्वास्थ्य से कोई फर्क नहीं पड़ता फर्क पड़ता है तो सिर्फ इस बार कितनी हुई कमाई से हम किसी एक को भ्रष्ट कह दिए उक्त कार्रवाई में संभव नहीं है क्योंकि हर किसी की चुप्पी अपने आप में एक सवाल खड़ा करती है और यूं ही नहीं कोई रहता चुप इसके पीछे भी होती एक बड़ी कहानी है और यही हो रहा है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम अनुसार गांव से या यूं कहिए की आबादी से 500 मीटर की दूरी पर स्थापित किया जा सकता है गन्ना कोल्हू और जिसके धुआ निकलने की चिमनी की हाइट भी 10 मीटर से अधिक होनी चाहिए लेकिन जनपद मुजफ्फरनगर हो या जनपद शामली 90 परसेंट गन्ना कोल्हू आबादी से सटे हुए हैं और जिनकी धुआ निकलने की चिमनी की हाइट भी मात्र 8 से 12 फुट तक है


और इनमें इंधन के रुप में भी रबड़ के टायर तक और पॉलिथीन तक जलाई जाती है लेकिन उसके बावजूद भी नहीं होती कोई कार्रवाई और इन्हीं आबादी से सटे हुए स्कूल होने के कारण भी छोटे बच्चों को भी आती है दिक्कत लेकिन बार-बार शिकायतों के बावजूद भी नहीं हो रही कोई कार्रवाई ऐसे में उदाहरण के रूप में आपको बताना चाहूंगा कि पिछले गन्ना सत्र के दौरान जनपद शामली के ग्राम की टिटौली के एक ऐसे ही गन्ना कोल्हू की अनेकों बार शिकायत की गई हर बार जांच अधिकारी आए हर बार जांच में उप गन्ना कोल्हू का संचालन गलत पाया गया बार-बार गन्ना कोल्हू संचालकों को नोटिस दिए गए लेकिन आज तक भी कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे साफ प्रतीत होता है कि नोटिस की नौटंकी भी उक्त विभाग द्वारा की जाती है और एक स्पष्ट करने के लिए काफी है कि किस तरीके से चलता है इसमें अवैध उगाई का कारोबार और उच्च अधिकारियों की छुट्टी भी यह प्रतीत करने के लिए काफी है कि करोड़ों के खेल में किस तरह होती है बंदरबांट अधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कर्मचारियों की बंदरबांट तो सार्वजनिक हुई रही है अपने वोट बैंक और अधिकारियों से मिलने वाली सुविधा शुल्क के चलते जनप्रतिनिधि चुप्पी भी एक बड़ी कहानी बयां करने के लिए काफी है

जा जनप्रतिनिधियों को अपना वोट बैंक खिसकने का डर रहता है वही भ्रष्ट विभाग से चलता है चढ़ावा भी लेकिन ऐसे जनप्रतिनिधि भूल जाते हैं कि जिनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है जब अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक खड़ा होंगे तो एक निश्चित वोट बैंक ही नहीं उन जनप्रतिनिधियों के सामने एक बड़ी समस्या उत्पन्न होगी जान गांव के जीवन को एक प्रदूषण मुक्तजीवन माना जाता था और गांव का जीवन भी प्रदूषण के दृष्टि से खुशहाल जीवन व्यतीत करने के लिए हर कोई उदाहरण देता था लेकिन आज ऐसे भ्रष्ट परवर्ती के अधिकारियों के चलते गांव की हवा भी जारी हो चुकी है अब गांव की हवाओं में भी सांस लेना कि नासा नहीं रहा है शहरी क्षेत्रों में तो वाहनों की भरमार हो या फिर इंडस्ट्री एरिया सभी से प्रदूषण अपनी चरम सीमा पर है लेकिन फिर भी गांव कोई अलग नजर से देखा जाता है था लेकिन अब कुछ समय से विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण गांव की हवाई भी जारी हो चुकी है अब देखना यह होगा कि क्या किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि की अंतरात्मा उसको झन जोड़ती है या नहीं उसकी अंतरात्मा की आवाज आती है या नहीं या लोगों के जीवन से होता रहेगा इसी तरह से खिलवाड़ यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि वर्तमान में जनप्रतिनिधि हो या कोई अधिकारी हर कोई मीटिंग को की नौटंकी में व्यस्त है और पर्दे के पीछे से चल रहा है सेटिंग का खेल

सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिन के स्वास्थ्य की बात चल रही है वे लोग भी चुप हैं नहीं है अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत जिसका उदाहरण है कि गांव में सांस व कैंसर के मरीजों के साथ साथ बढ़ रही है आंखों की बीमारियां भी लेकिन फिर भी लोग चुप अधिकारी एवं कर्मचारियों की चुप्पी तो समझ में आती है लेकिन जिनके स्वास्थ्य के साथ हो रहा है खिलवाड़ उनकी चुप्पी भी समझ से परे आखिर वह क्यों है चुप यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल इस पर भी गहन चिंतन की आवश्यकता लेकिन फिर भी अधिकारियों से अपील कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ में हो खिलवाड़ ऐसी करे कार्रवाई जिससे सभी को मिले इंसाफ और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट व प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित मानकों का हो पालन ऐसी  व्यवस्था, खुली हवा में सभी को सांस लेने का है अधिकार उक्त हवा को जहरीली ना बनने दे प्रशासन

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