शामली के बाद जनपद बागपत में भी चल रहे आंगनबाड़ी भर्ती में अधिकारियों द्वारा छोड़ें गए, एर्जेंट के माध्यम से चयनित आंगनवाड़ी से एक लाख मिनी आंगनवाड़ी 70000 एवं सहायिका 50000 की की गई वसूली


 अधिकारियों द्वारा खुलेआम की गई इस वसूली में अधिकारियों के एजेंट के रूप में काम करने वाले रविंद्र गुप्ता को आंगनवाड़ी संघ से दिखाया बाहर का रास्ता, उत्तर प्रदेश आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री बबीता चौधरी ने बागपत जिला प्रभारी रविंद्र गुप्ता को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा कर अधिकारियों के सामने पेेेश की नजीर, क्या जिस तरीके से उगाई में अधिकारियों के साथ देने पर उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी 
संघ ने की है कार्यवाही,  क्या उस अधिकारी पर भी कर पाएंगे  भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई , यूं तो आरक्षण पर फंसे पेज के चलते पूरे उत्तर प्रदेश में आंगनबाड़ियों की भर्ती में चयनित आंगनवाड़ी यों की जॉइनिंग पर है रोक, यही रोक भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के लिए हुई वरदान साबित उगाई का मिल रहा है भरपूर समय, जनप्रतिनिधियों के चेले भी शामिल है उगाई में और अधिकारियों से गठजोड़ कराने में जिसका नतीजा है कि जनप्रतिनिधि ही बन जाते हैं

भ्रष्ट अधिकारियों के पैरोकार, जनपद की प्रत्येक परियोजना पर उगाही
करने के उद्देश्य से बैठाए गए हैं । आंगनवाड़ी सहायिका एर्जेंट जो करते हैं जमकर उगाही, मोबाइल लोकेशन के आधार पर हो परियोजना पर बैठने वालों की जांच आखिर किस हक और किस पद से बैठते हैं प्रतिदिन परियोजना पर, उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ द्वारा भर्ती में 40 के 
आसपास खेले गए खेल की ऑनलाइन की जा चुकी है शिकायत, आपको बता दें कि जनपद बागपत में चल रही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं मिनी आंगनवाड़ी में सहायिका की भर्ती जहां समायोजन आरक्षण एवं कई अनेकों कारणों से चर्चा में रही है वहीं अब सबसे बड़ा कारण जो उभरकर सामने आया है वह है चयन समिति बैठने के बाद तैयार की गई मेरिट सूची को बाल विकास परियोजना अधिकारी मुख्य सेविकाओं ने प्रत्येक परियोजना पर छोड़ें गये अपने एजेंटों के माध्यम से गांव गांव में चयनित हुई सभी आंगनवाड़ी से जा रहे हैं वसूली, और वसूली भी कोई हजार दो हजार कि नहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पद पर चयनित ₹10,00,00 से ₹75,000 तक का ₹50,000 तक की वसूली की जा रही है वसूली कोई अधिकारी नहीं बल्कि पूरे विभाग की मिलीभगत से चल रही है ऑनलाइन मुख्यमंत्री से भी की जा चुकी है।

शिकायत, शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उत्तर प्रदेश आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महामंत्री बबीता चौधरी ने अपने संगठन के जिला प्रभारी रविंद्र गुप्ता को आंगनवाड़ी भर्ती के खेल में शामिल होने पर संगठन से निकाल दिया है। तथा साथ ही साथ उच्च अधिकारियों से जांच की मांग भी की है जांच में दोषी पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की मांग करते हुए उक्त प्रकरण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर ऐसे गांव गांव जाकर उपज बेचने पर लगा जैसे कोई सब्जी तरकारी बेचने वाला लगा हुआ इसमें चाहे कोई परियोजना अधिकारी हो मुख्य सेविका या फिर जिला कार्यक्रम अधिकारी कोई भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकता सबकी सहमति से चल रहा है जनपद बागपत में खेल अब देखना होगा कि उक्त खेल में आगे क्या होता है इतना ही नहीं अधिकारी नहीं कुछ जनप्रतिनिधियों के चिल्ले भी  भर्ती प्रकरण में चल रही घूसखोरी में सब लिप्त है

या यह कहिए कि जनप्रतिनिधि बातचीत करा कर आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई न करने के लिए बनवा कर सहमति कुछ नेताओं के चेले
तो शिवम गांव-गांव घूमते भी देखे गए अब ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर चल रही भर्ती के नाम पर उगाही और अधिकारियों की चुप्पी अपने आप में इस खेल को ब्याह करने के लिए काफी है और रही जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के गठजोड़ की इसके लिए सबसे बड़ा उदाहरण है कि जनपद बागपत की परियोजना छपरोली एक घटना जिसमें एक जनप्रतिनिधि और आंगनवाड़ी आमने-सामने हो गए जनप्रतिनिधि विभागीय अधिकारियों का पक्ष लेते नजर आए थे समाचार पत्र व चैनलों की सुर्खियां बने थे और ऐसे बात करने से मानव अधिकारी कर्मचारियों

के वकील हो तो ऐसी घटनाओं से साफ प्रतीत हो जाता है कि जिले में कितने बड़े स्तर पर सांठगांठ गठजोड़ कैसे फल और फूल रहा है क्यों नहीं होती ऐसे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई  यह समझने के लिए सिर्फ इतना काफी है कि जनप्रतिनिधि कैसे बंद करते हैं लगभग जिले में यह इतना बड़ा घोटाला है कि जिसको अंको में बयां करना भी आसान नहीं होगा लेकिन अब देखना यह होगा कि क्या अधिकारी इस तरीके से उत्तर प्रदेश आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ ने की है अन्य पदाधिकारी पर कार्रवाई क्या कोई विभागीय अधिकारियों पर बैठेगी जांच समिति होगी कार्रवाई आखिर जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों का यह गठजोड़ कब तक चलता रहेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि इतने बड़े स्तर पर भर्ती में उगाही कोई छोटी बात नहीं है और वह भी

जनप्रतिनिधि तक का भी गठजोड़ एवं अधिकारी कर्मचारी एवं एजेंटों द्वारा की गई उगाई अपने आप में एक बड़ा सवाल है जनपद की सभी प्रेरणा पर बैठाई गई है आंगनवाड़ी सहायिका या फिर प्राइवेट एजेंट
परियोजना कार्यालय पर बैठने वाले ऐसे कर्मचारी जो कि उस कार्यालय संबंधित नहीं है कि मोबाइल लोकेशन के आधार पर हो जांच और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ हो कार्रवाई किस किस अधिकार से कार्यालय में बैठकर कर रहे हैं कार्य,आखिर किस पोस्ट पर हैं यह भी जांच का विषय होना चाहिए यदि ऐसी जांच की जाए तो निश्चित रूप से जनपद में चल रहे इस बड़े खेल का पर्दाफाश होगा और इसमें या भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी तो बेनकाब होंगे इसमें सफेदपोश भी छिपे नहीं रहेंगे

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