बच्चों का भविष्य बचाने के लिए पुस्तकों की होम डिलीवरी कराने की की मांग

कानपुर 12 अप्रैल देश में  आईसीएसई व सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों द्वारा कोरोना वायरस के चलते नगर में लॉकडाउन के कारण स्कूल बंद कर दिए गए हैं और माह जुलाई से पहले नगर में विद्यालय खुलते नजर नहीं आ रहे हैं  जिस क्रम में संस्था आपसे बाल हित  को ध्यान

में रखते हुए विद्यार्थियों को नए सत्र की किताबें विद्यार्थियों के घरों पर होम डिलीवरी कराने के लिए माननीय प्रधानमंत्री माननीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री भारत सरकार माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ माननीय शिक्षा मंत्री माननीय अध्यक्ष राष्ट्रीय

बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग माननीय जिलाधिकारी कानपुर नगर माननीय मंडल आयुक्त कानपुर नगर माननीय बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर नगर माननीय जिला विद्यालय निरीक्षक कानपुर नगर से मांग की गई है संस्था के अध्यक्ष कमल कांत तिवारी ने बताया

 कि विद्यालयों द्वारा सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं आरंभ कर दी गई है लेकिन महोदय बच्चों के पास नए सत्र की किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं जिससे ऑनलाइन पढ़ाई का कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है और साथ ही कक्षा 1 से 8 तक के बच्चे जो

की ऑनलाइन पढ़ाई की विधि से अनभिज्ञ हैं उनको समस्या का सामना करना पड़ रहा है व कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को ना तो ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है जिससे वह इस ऑनलाइन प्रणाली से ट्रेड ना होने के कारण इस विधि से पढ़ने में समस्या का सामना

करना पड़ रहा है साथ ही उन्होंने बताया कि संस्था शासन व प्रशासन से अनुरोध करती है कि बच्चों के घर पर किताबों की होम डिलीवरी स्कूलों व दुकानदारों से सामंजस्य बैठक कर बच्चों के घर किताबों की होम डिलीवरी करवाई जाए जिससे उनको ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ

मिल सके साथ ही उन्होंने निम्न समस्याओं से अवगत कराया जिसमें कि उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चों को व्हाट्सएप के माध्यम से नोट्स किताब की फोटो आदि भी जाती है जिसकी फोटो कॉपी कराए बिना पढ़ना की संभावना बहुत कम है इससे बच्चों

 के अभिभावकों पर फोटोकॉपी का अतिरिक्त खर्च भी बढ़ेगा जबकि अधिवास अभी अभिभावकों को लॉग डाउन खत्म होने के बाद किताबे खरीदनी ही है और किताबों का खर्च वहन करना ही है साथ ही सबसे बड़ी समस्या से अवगत कराया कि यदि घर में दो या तीन

बच्चे हैं तो ऑनलाइन पढ़ाई के चलते दो या तीन स्मार्टफोन की आवश्यकता है जबकि प्रति घर में यह आवश्यक नहीं कि दो या तीन स्मार्टफोन हो जिससे साथ ही नगर में कई गरीब घर के लोग हैं जिनके पास एक स्मार्टफोन भी उपलब्ध नहीं है तो ऐसे घरों के बच्चे कैसे इन

ऑनलाइन विधि का लाभ ले पाएंगे इस पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके द्वारा शासन व प्रशासन से अपील की गई है कि बाल हित को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन कक्षाओं के साथ-साथ नए सत्र की किताबों की होम डिलीवरी विद्यार्थियों के घर तक कराई जाए जिससे

यदि जुलाई माह में भी विद्यालयों की कक्षाएं प्रारंभ होती हैं तो उन तीन माह में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ मिल सके और बच्चों के भविष्य को बचाया जा सकेगा

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