NPR, NRC का नया रूप ही क्यूं है, क्या सरकार कमाई का ज़रिया तलाश रही है...?

*अब्दुल बासित मलक*



अब एनपीआर अपटेड का काम असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2020 से सितंबर 2020 तक चलेगा, गृह मंत्रालय ने 2021 की जनगणना के लिए 8, 754 करोड़ रुपए और एनपीआर अपडेट करने के लिए 3,941 करोड़ रुपए के ख़र्च के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी है.

सवाल NPR यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर क्या है...?

NPR मुख्य रूप से भारत में रहने वालों या यूजुअल रेजिडेंट्स का रजिस्टर है, भारत में रहने वालों के लिए एनपीआर के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है, वहीं यह भारतीयों के साथ भारत में रहने वाले हर विदेशी नागरिकों के लिए भी अनिवार्य होगा, एनपीआर का मक़सद देश में रहने वाले लोगों के व्यापक रूप से पहचान से जुड़ा डेटाबेस तैयार करना होता है.

भारत मैं पहला एनपीआर 2010 में तैयार किया गया और इसे अपडेट करने का काम साल 2015 में घर-घर जाकर सर्वे के ज़रिए भी किया गया, अब इसे एक बार फिर से अपडेट करने का काम 2020 में अप्रैल महीने से सितंबर तक 2021 की जनगणना में हाउसलिस्टिंग फेज के साथ चलेगा.

इसे नागरिकता क़ानून 1955 और सिटिज़नशिप (रजिस्ट्रेशन ऑफ सिटिज़न्स एंड इश्यू ऑफ नेशनल आइडेंटिटी कार्ड्स) रूल्स, 2003 के प्रावधानों के तहत गाँव, पंचायत, ज़िला, स्टेट और राष्ट्रीय स्तर पर किया जाएगा.

पश्चिम बंगाल की सरकार ने घोषणा की है कि वो अपने राज्य में एनआरसी और सीएए लागू नहीं करेगी, वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, बिना राज्य सरकार की अनुमति के एनपीआर का काम प्रदेश में शुरू नहीं किया जा सकता है, केरल और राजस्थान ने भी ऐसी ही घोषणा कर रखी है, सीएए के बाद ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों ने एनपीआर और एनआरसी को लेकर असहयोग की घोषणा पहले ही कर रखी है.

अब सवाल ये पैदा होता है कि सरकार ने 2015 मैं जो डेटा इकठ्ठा किया उसी से आगे का डेटा आगे उसी आधार पर करना चाहिए, मगर सरकार की मंशा पर जानकारों ने सवाल तब खड़े किये जब केंद्र सरकार ने इस योजना में नये नियम जोड़कर इसको फिर नये सिरे से लागू करने के लिए आदेश पारित कर दिये, विरोध भी उन्ही नये नियम कानून और जानकारी देने का है जो जायज़ भी है.

अब एनपीआर रजिस्टर में ये जानकारियां होंगी जैसे व्यक्ति का नाम, परिवार के मुखिया से संबंध, पिता का नाम, माता का नाम, पत्नी या पति का नाम (यदि विवाहित हैं), लिंग, जन्मतिथि, मौजूदा पता, राष्ट्रीयता, स्थायी पता, व्यवसाय और बॉयोमीट्रिक डिटेल्स को इसमें शामिल किया जाएगा, 5 साल से अधिक उम्र के लोगों को ही इसमें शामिल किया जाएगा, यदि एनपीआर के तहत आप गलत सूचना देते हैं तो सिटिजनशिप रूल्स, 2003 के तहत आपको जुर्माना अदा करना होगा.

अब दूसरा सवाल यहीं पैदा हो जाता है, सवाल ये कि आज तक पहचान पत्र मैं गलतियां निकल रही हैं, गलतियां भी ऐसी कि समझना बड़ा मुश्किल है जैसे नाम पति यानि मर्द का और फ़ोटो किसी महिला का, या नाम तो सही है पर पता किसी और का है, या नाम पते दोनों तो सही हैं मगर उम्र किसी और की लिख दी गई है आदि.

यानि आजतक पहचान पत्र सही नहीं बन पाये तब इस NPR के अपडेट मैं ग़लती होना लाज़िम है, वजह है इस काम से जुड़े कर्मचारियों की लापरवाही के साथ अधिकतर नागरिकों का अनपढ़ होना, यानि गलतियां लाज़िम हैं, लिहाज़ा जनता को इसके लागू होने के साथ जुर्माना भरने के लिए तैयार रहना चाहिए, वरना जुर्माना और सज़ा दोनों भी मिल सकती हैं...!

1 comment: