भारत में तेजी से बढ़ती जल प्रदूषण की समस्या का समाधान खोजने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध में जुटे हैं। इसी दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने जेएस एक्वेरिटिन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को एक नवीन जल उपचार प्रौद्योगिकी का सफलतापूर्वक लाइसेंस प्रदान किया है। यह साझेदारी न केवल पर्यावरणीय स्थिरता की ओर एक ठोस कदम है, बल्कि तकनीक और समाज के बीच की खाई को भी पाटती है।
तकनीक की खासियत
यह तकनीक आईआईटी रुड़की के प्रो. हिमांशु जोशी और डॉ. मोनिका साइमन द्वारा विकसित की गई है।
नवाचार का शीर्षक है –
“प्रदूषित जल से प्रमुख कार्बनिक प्रदूषकों एवं पोषक तत्वों को एक साथ हटाने के लिए सूक्ष्मजीव संघ”।
इस तकनीक की मदद से नालों, तालाबों, झीलों और छोटी नदियों जैसे प्रदूषित सतही जल का त्वरित और लागत-प्रभावी उपचार संभव हो सकेगा।
शोधकर्ताओं और उद्योग की प्रतिक्रिया
प्रो. हिमांशु जोशी ने कहा –
"यह तकनीक वर्षों के शोध का परिणाम है। इसका उद्देश्य प्रदूषित जल का ऐसा समाधान खोजना था जो टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल और किफायती हो।"
जेएस एक्वेरिटिन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के सुनील नंदा ने कहा –
"हम आईआईटी रुड़की के साथ इस साझेदारी को बेहद महत्व देते हैं। यह समाधान हमारे मिशन से पूरी तरह मेल खाता है, जिसमें स्थायी जल प्रबंधन के लिए विज्ञान-संचालित तकनीकों को अपनाना शामिल है।"
आईआईटी रुड़की की प्रतिबद्धता
संस्थान के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने इस विकास को आईआईटी रुड़की की वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने की प्रतिबद्धता का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा –
"यह नवाचार पर्यावरणीय स्वास्थ्य सुधारने और स्थायी औद्योगिक प्रथाओं का समर्थन करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा।"
आईआईटी रुड़की के कुलशासक (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श) प्रो. विवेक के. मलिक ने इसे गर्व का क्षण बताया और कहा कि इस तरह की साझेदारियाँ प्रयोगशाला और बाज़ार के बीच की खाई को पाटने में अहम भूमिका निभाती हैं।
लाइसेंसिंग प्रक्रिया का नेतृत्व आईआईटी रुड़की के इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन और आईपीआर सेल के सह कुलशासक प्रो. एस.आर. मेका ने किया।
तकनीक और पर्यावरण का संगम
यह साझेदारी दिखाती है कि कैसे तकनीकी अनुसंधान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहकर, समाज और पर्यावरण के हित में व्यावहारिक समाधान प्रदान कर सकता है। यह तकनीक भविष्य में जल प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का टिकाऊ समाधान बन सकती है।
"समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए हरिद्वार (उत्तराखंड) से पत्रकार तसलीम अहमद की रिपोर्ट।
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