मदीना मस्जिद, वो जगह जहाँ से अज़ान की आवाज़ें उठती थीं, अब उसी जगह से एक इमाम की लाश बरामद हुई है। उसने अपने आख़िरी बयान में लिखा है कि
“आत्महत्या हराम है, मैंने सोच-समझकर ये कदम उठाया है।”
इस्लाम में आत्महत्या को क़तई हराम करार दिया गया है।
क़ुरआन साफ़ कहता है - और तुम अपने आप को मत मारो। निःसंदेह, अल्लाह तुम पर बेहद मेहरबान है। (सूरह अन-निसा: 4:29)
रसूलुल्लाह सल्लाहुअलैहवसल्लम ने भी फ़रमाया है कि जो शख्स अपने आपको लोहे से मारेगा, वह क़यामत के दिन जहन्नम में उसी से अपने आपको बार-बार मारेगा।
(सहीह बुखारी)
इस्लामी क़ानून के तहत, ज़िंदगी अल्लाह की अमानत है। कोई भी इंसान अपनी जान लेने का हकदार नहीं, चाहे हालात कितने भी सख़्त क्यों न हों। ज़ाहिर है इमाम साहब कुरआन और हदीस दोनों के जानकार रहे होंगे और शरीअत की रौशनी में, खुदकुशी गुनाह है और मौलाना शाहबाज़ को इस अमल के लिए दोषी कहा जाएगा।
लेकिन क्या हम सिर्फ़ इतना कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से बच सकते हैं?
मौलाना शाहबाज़ पिछले 6 महीनों से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। उधार के राशन, घर का बढ़ता खर्च, बीमारी और गरीबी ये सब एक साथ उनपर टूट पड़े।
उनके सुसाइड नोट में लिखा है
“मेरे ऊपर कोई उधारी न छोड़ी जाए… मैं मजबूर था।”
यह एक ऐसा वाक़या है जो बताता है कि हमारी मस्जिदें भले आलीशान बन जाएं, मगर उसके इमाम की हालत अगर कर्ज़ में डूबी, भूख से झुकी और मानसिक दबाव से टूटी हो तो क्या ये समाज का गुनाह नहीं है?
क्या मस्जिद कमेटी को उसकी परेशानी नहीं दिखी? क्या मोहल्ले के लोगों ने कभी इमाम से उसके हालात नहीं पूछे? क्या हम सिर्फ़ जनाज़ा पढ़ने के वक़्त ही किसी की याद में आते हैं?
हक़ीकत ये भी है कि किसी मजलूम की खामोशी को न सुनना भी एक जुर्म है।
इससे बिल्कुल इंकार नहीं है कि इमाम हो या आम आदमी खुदकुशी हराम है, और उससे बचना हर मुसलमान का फर्ज़ है।मगर हमें ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी जो तंगी, डिप्रेशन या अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। मस्जिदों को सिर्फ़ नमाज़ के लिए नहीं, एक सामाजिक सहारे का केंद्र भी बनाना चाहिए।
एक इमाम चला गया मगर उसकी खामोश चीखें मस्जिद की दीवारों में गूंजती रहेंगी। उसने गुनाह किया मगर क्या हमने भी उससे पहले उसे जिंदा दफन नहीं कर दिया था?
मौलाना शाहबाज़ के लिए हम दुआ करते हैं और खुद से यह अहद लेते हैं कि अगली बार किसी इमाम, किसी गरीब, किसी टूटी हुई आंख को देखेंगे, तो सवाल ज़रूर करेंगे आप ठीक तो हैं..? "समझो भारत" से ज़मीर आलम
#samjhobharat
8010884848
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