कैराना। कस्बा में एक चौंकाने वाला और अत्यंत विवादित मामला सामने आया है, जिसमें विद्युत विभाग के कर्मचारियों पर गंभीर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और दबंगई के आरोप लगे हैं। पीड़ित सूरज वर्मा पुत्र यशपाल सिंह वर्मा, निवासी मोहल्ला सरावज्ञान, कैराना ने अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड चतुर्थ शामली को एक विस्तृत प्रार्थना पत्र सौंपकर पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया है, जो न केवल विद्युत विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है, बल्कि आम जनता के साथ हो रहे खुलेआम उत्पीड़न की तस्वीर भी पेश करता है।
प्राप्त विवरण के अनुसार, सूरज वर्मा की दुकान पर एक वैध कॉमर्शियल विद्युत कनेक्शन (खाता संख्या 1534479155) पूर्व से स्वीकृत था। लेकिन दो वर्ष पूर्व विभाग के एक लाइनमैन जावेद ने सूरज से कहा कि उसके ऊपर ₹68,000 का बकाया बिल है, जिसे तुरंत चुकाना आवश्यक है। जावेद ने सूरज को अपने दो परिचित लाइनमैन — लकी और संजय — के माध्यम से यह राशि देने को कहा। विश्वास में आकर सूरज वर्मा ने पूरी रकम दोनों को दे दी। कुछ समय बाद जब उसने बिल जमा होने की रसीद मांगी, तो जावेद ने ₹15,000 अतिरिक्त की मांग कर दी। यह राशि भी दे दी गई, पर रसीद फिर भी नहीं दी गई।
जब सूरज वर्मा ने बार-बार रसीद की मांग की और जवाबदेही चाही, तो आरोपित लाइनमैनों ने अपनी मिलीभगत का भयावह चेहरा उजागर किया। बिजली विभाग ने बकाया बताते हुए सूरज की दुकान का मीटर हटा दिया। बाद में, प्रताड़ना की हदें पार करते हुए आरोपितों ने सूरज के मकान पर खुद ही एक डाइरेक्ट तार जोड़ दिया और फिर उसी के खिलाफ विद्युत चोरी का झूठा आरोप लगा दिया। यानी पहले ठगी, फिर झूठा मुकदमा — दोहरी मार।
विवाद यहीं खत्म नहीं हुआ। इस बीच सूरज वर्मा की माता जी ने अपने नाम से एक घरेलू विद्युत कनेक्शन (खाता संख्या 2123229267) स्वीकृत कराया, लेकिन विभाग ने उसे भी यह कहकर हटा लिया कि ‘बेटे पर बिल बकाया है’। सवाल यह उठता है कि यदि सूरज की माता जी का खाता अलग है, तो उसके कनेक्शन को किस अधिकार से काटा गया?
और तो और, सूरज को अब विभागीय कर्मचारियों से धमकियां मिल रही हैं कि यदि उसने कोई कार्रवाई की, तो वे उसकी मां पर भी बिजली चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज करा देंगे। यह मामला सीधे तौर पर विभागीय भ्रष्टाचार, कर्मचारियों की मनमानी और मिलीभगत से आम जनता को शिकार बनाने का जीवंत उदाहरण बन चुका है।
पीड़ित सूरज वर्मा ने अपने आवेदन में स्पष्ट रूप से मांग की है कि दोषी कर्मचारियों — जावेद, लकी और संजय — के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल बर्खास्त किया जाए। साथ ही उसकी दुकान और माता जी के नाम पर विद्युत कनेक्शन को पुनः बहाल किया जाए और उसके साथ हुई आर्थिक एवं मानसिक क्षति की भरपाई की जाए।
यह मामला अब स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहा है कि क्या वे ऐसे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं या फिर आम जनता के साथ हो रहे इस तरह के शोषण पर चुप्पी साधे हुए हैं?
अब देखना यह है कि विद्युत विभाग और जिला प्रशासन इस विवादास्पद प्रकरण पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य हजारों मामलों की तरह फाइलों में दबा रह जाएगा। आम जनता को न्याय मिलेगा या नहीं — यह आने वाला समय तय करेगा। रिपोर्ट गुलवेज आलम कैराना
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