बिडौली (शामली), विशेष रिपोर्ट – मोहम्मद शाकिर, "समझो भारत"
सफर माह के चालीसवें दिन यानी चेहलुम पर बिडौली सादात में शुक्रवार को शिया समुदाय के सोगवारों ने हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए एक विशाल मातमी जुलूस निकाला। इस मौके पर पूरा माहौल "या हुसैन" की सदाओं से गूंज उठा और इमाम हुसैन के अद्वितीय बलिदान की यादें ताजा हो गईं। सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए भारी पुलिस बल तैनात रहा, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से सम्पन्न हुआ।
पूर्व प्रधान फजल अली के आवास से कर्बला तक का सफर
जुलूस की शुरुआत पूर्व प्रधान फजल अली के आवास से हुई, जहां पहले मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस को मौलाना मंजर सादिक साहब ने खिताब करते हुए कहा कि हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने दीन व हक की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने बताया कि कर्बला की जंग में यजीद की सेना ने उन्हें यातनाएं दीं, लेकिन इमाम हुसैन ने अन्याय और अत्याचार के आगे सिर नहीं झुकाया।
मौलाना ने यह भी कहा कि “दुनिया में सबसे बेहतर अमल झूठ न बोलना है” और कर्बला का संदेश यही है कि सत्य और न्याय के लिए डटे रहना चाहिए, चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों।सीनाजनी और मर्सिया खानी
मजलिस के बाद जुलूस इमाम बारगाह से निकलकर गलियों से होता हुआ कर्बला की ओर रवाना हुआ। इस दौरान सोगवारों ने सीनाजनी कर मातम किया और अली रजा, हमजा जैदी, सय्यद वसी हैदर, नफीस शाह आदि ने मर्सिया खानी कर कर्बला के ग़म को शब्दों में पिरोया। जुलूस में जगह-जगह शर्बत, खाना और चाय का वितरण किया गया, जिससे जुलूस में शामिल लोगों की मेहमाननवाजी की परंपरा निभाई गई।
कर्बला में ताजियों का दफ़न
जुलूस के कर्बला पहुंचने के बाद ताजियों का दफन किया गया। यह दृश्य भावुक करने वाला था, जहां सोगवारों की आंखों में आंसू और दिलों में कर्बला की यादें ताजा थीं।
कार्यक्रम में शामिल गणमान्य
इस मौके पर सय्यद फ़ज़ल अली उर्फ अच्छू मियां, अली जोन, नियाज़ हैदर, ज़िंदा शाह, हामिद शाह, गुड्डू मियां, सय्यद कमर अब्बास, कमर रज़ा ज़ैदी, सय्यद मेहताब मेहदी, बाकिर अली, डॉ. बाकर जैदी, आफताब मेहदी, सलीम शाह, साजिद शाह, साबिर शाह, डॉ. रजी बाक़र, मिन्हाल मेहदी, मोहसिन रिजवी समेत अनेक लोग मौजूद रहे।चेहलुम का संदेश
यह मातमी जुलूस न केवल शिया समुदाय की धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए एक संदेश भी है कि सत्य, न्याय और इंसानियत के रास्ते पर चलने के लिए बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए। कर्बला की घटना आज भी यह प्रेरणा देती है कि अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े होना ही असली इबादत है।
"समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए बिडौली सादात, जिला शामली, उत्तर प्रदेश से पत्रकार मोहम्मद शाकिर की विशेष रिपोर्ट
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