काकड़ा की चमारों वाली गली में 10 महीने से जलभराव! बच्चों, महिलाओं और मेहमानों की मुश्किलें बढ़ीं

मुजफ्फरनगर (बुढ़ाना तहसील)।

गांव काकड़ा, थाना शाहपुर, तहसील बुढ़ाना, जिला मुजफ्फरनगर की चमारों की मुख्य गली आज बदहाली की जीती-जागती तस्वीर पेश कर रही है। करीब 10 महीनों से लगातार जलभराव और गंदगी के कारण यहां का माहौल अस्वस्थ और असुविधाजनक बना हुआ है।

यह गली गांव के लिए बेहद अहम है क्योंकि यही बच्चों के स्कूल जाने का, गरीब महिलाओं के घास ले जाने का और मेहमानों के आने-जाने का मुख्य रास्ता है। दूसरा वैकल्पिक मार्ग करीब एक किलोमीटर लंबा होने की वजह से ग्रामीणों को मजबूरी में इसी बदहाल गली से गुजरना पड़ता है।


🏚 गली में भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष का घर भी

गांव वालों के अनुसार, आश्चर्य की बात यह है कि इसी गली में भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष श्री प्रमोद जी का निवास और दुकान भी स्थित है। इसके बावजूद गली की दशा में सुधार न होना ग्रामीणों के लिए बड़ी निराशा का कारण है।

ग्रामीणों का कहना है कि अगर इस गली की हालत सुधारने में इतनी देर लग रही है, तो अन्य पिछड़े मोहल्लों की दशा का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।


😷 स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा

गली में भरे गंदे पानी और लगातार जमे कचरे से मच्छर व कीटाणु पनप रहे हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह हालात और भी गंभीर हैं।

गांव के लोगों का कहना है कि वे हर दिन इस गली से गुजरने को मजबूर हैं और कभी भी किसी बड़े हादसे या बीमारी का शिकार हो सकते हैं।


📢 ग्रामीणों की आवाज

गांव के निवासी अमित कालानिया (M. 9897064907) और ग्राम प्रधान निराज बालियान (M. 8859686499) ने इस समस्या को उजागर करते हुए प्रशासन से तत्काल समाधान की मांग की है। उनका कहना है कि गली की मरम्मत और जल निकासी की उचित व्यवस्था होने से समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है।


✍️ पत्रकार की नज़र से

गांव काकड़ा की यह गली केवल एक रास्ता नहीं, बल्कि गांव की उपेक्षा का आईना भी है। सवाल यह है कि जब नेताओं और पदाधिकारियों के घर वाली गली का यह हाल है, तो बाकी इलाकों का क्या होगा? ग्रामीणों की आवाज़ कब सुनी जाएगी और कब उनकी समस्याओं का हल होगा?


समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए
काकड़ा, बुढ़ाना, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) से
🖊️ पत्रकार – ज़मीर आलम

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