📍 राजकीय जूनियर हाई स्कूल इकबालपुर कमेलपुर, विकासखंड रुड़की, जनपद हरिद्वार (उत्तराखंड)
जहां एक ओर पूरा देश ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की ओर अग्रसर है, वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले के कमेलपुर गांव में स्थित राजकीय जूनियर हाई स्कूल इकबालपुर के सामने की तस्वीर इस अभियान को खुली चुनौती देती नज़र आती है।
✅ स्कूल के सामने बना 'कूड़ा डंपिंग जोन'
जिस स्थान पर बच्चों को शिक्षा, संस्कार और स्वास्थ्य का आदर्श वातावरण मिलना चाहिए, वहां आज गांव वालों द्वारा कूड़ा डंप किया जा रहा है। स्कूल के ठीक सामने, मुख्य मार्ग पर बना यह ‘डंपिंग ज़ोन’ न केवल विद्यार्थियों के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है, बल्कि पूरे गांव की छवि पर भी एक बदनुमा दाग बन चुका है।🚫 जिम्मेदार कौन?
गांव का मौजूदा ग्राम प्रधान, जिनका रोज़ का आना-जाना इसी मार्ग से होता है, आज तक इस ओर नज़र उठाकर देखना भी ज़रूरी नहीं समझते। ना कोई पंचायत की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, ना किसी अन्य जनप्रतिनिधि ने इस गंभीर विषय को प्राथमिकता दी।क्या यह उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि जिस स्थान से गांव के नौनिहाल शिक्षा प्राप्त करने आते हैं, उस जगह को कम से कम साफ़-सुथरा रखा जाए?
☠️ बच्चों और राहगीरों पर संकट
गर्मी में उड़ते कूड़े के कण और बरसात में उठती भयानक दुर्गंध – ये सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि डेंगू, मलेरिया, साँस की बीमारियों जैसे संक्रमणों का खुला निमंत्रण हैं। बच्चे, जो देश का भविष्य हैं, इस कूड़े के ढेर के बीच शिक्षा लेने को मजबूर हैं।राहगीर, विशेषकर महिलाएं और बुज़ुर्ग, स्कूल के पास से गुज़रने में भी नाक पर रूमाल रखे बिना नहीं निकल सकते। क्या यही ‘स्वच्छता’ है जिसकी बात प्रधानमंत्री से लेकर गांव के पंच तक करते हैं?
📢 एक सवाल – क्या हम वाकई जागरूक नागरिक हैं?
गांव वासियों को भी यह सोचना चाहिए कि उन्होंने अपने बच्चों की किताबों के आगे गंदगी का अंबार क्यों रख छोड़ा है? क्या घर का कूड़ा स्कूल के सामने फेंकना एक समझदारी भरा निर्णय है? या फिर यह सामाजिक गैरज़िम्मेदारी की पराकाष्ठा है?✋ हमारी मांग:
- तत्काल प्रभाव से स्कूल के सामने से कूड़ा हटाया जाए।
- स्थायी कूड़ा निस्तारण स्थल का निर्धारण किया जाए।
- ग्राम प्रधान और पंचायत द्वारा सफाई के लिए नियमित व्यवस्था की जाए।
- बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्कूल के आसपास नियमित फॉगिंग और सफाई अभियान चलाया जाए।
🟢 समझो भारत न्यूज़ की टीम इस मुद्दे को केवल खबर नहीं, एक जनजागरण के रूप में उठा रही है। हम तब तक यह सवाल पूछते रहेंगे जब तक जवाब नहीं मिल जाते।
"गांव का विकास सिर्फ सड़कों से नहीं, सोच से होता है!"
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