सीओ रुपाली राव पर रिश्वत और दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप, खुद बताया 'राजनीतिक दबाव और झूठे इल्ज़ाम,,

मुज़फ्फरनगर से “समझो भारत” की खास रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में एक बार फिर पुलिस अफसरों पर भ्रष्टाचार और भाजपा नेताओं के साथ कथित दुर्व्यवहार का मामला सुर्खियों में है। मामला मुज़फ्फरनगर जिले के मंडी क्षेत्र की क्षेत्राधिकारी (सीओ) रुपाली राव से जुड़ा है, जिन पर ₹1 लाख की रिश्वत लेने और एक भाजपा नेता के साथ दुर्व्यवहार करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।

हालांकि सीओ रुपाली राव ने इन सभी आरोपों को न केवल झूठा बल्कि राजनीतिक साजिश करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वे किसी भी प्रकार के दवाब में काम नहीं करतीं और जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


मामला क्या है?

पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब ग्राम दूधली के ग्राम प्रधान शोभित पुंडीर के पिता बृजपाल सिंह, जो भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं, 8 जुलाई को सीओ रुपाली राव के कार्यालय पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे अपने गांव की कुछ समस्याओं को लेकर सीओ से मिलने पहुंचे, तो उन्होंने बेहद अशिष्ट व्यवहार किया। बृजपाल सिंह के अनुसार, सीओ ने यह तक कह दिया –

"मैं आपकी बातें नहीं सुनूंगी, ना मानूंगी। मुझे जो करना है, मैं अपनी मर्जी से करूंगी।"

उन्होंने आरोप लगाया कि सीओ ने उन्हें कार्यालय से बाहर निकलने को कहा और यह भी तंज कसा कि

"आप जैसे नेता तो सैकड़ों आते रहते हैं।"

बृजपाल सिंह का कहना है कि उस वक्त उनके साथ गांव के ही महिपाल सिंह और अभिमन्यु भी मौजूद थे और वे इस पूरे घटनाक्रम के गवाह हैं। बृजपाल सिंह ने सीओ के व्यवहार को अपमानजनक बताते हुए उनके स्थानांतरण की मांग की है।


रिश्वत लेने का आरोप

इस मामले को और गंभीर बनाता है कुसुम देवी की शिकायत, जिन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी बहू मोनिका की मौत के मामले में सीओ रुपाली राव ने चार लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

कुसुम का दावा है कि

“सीओ खुद गांव आईं और धमकाने लगीं कि अगर पैसे नहीं दिए तो जेल भेज दूंगी।”

उनके मुताबिक, जैसे-तैसे ₹1 लाख की व्यवस्था करके उन्होंने दे दिए और शेष ₹3 लाख की मांग अब भी की जा रही है। कुसुम ने यह भी आरोप लगाया कि सीओ गांव में बिना लोकल पुलिस के आई थीं और एकतरफा दबाव बनाकर उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है।


सीओ का जवाब – "ये सब झूठ है!"

सीओ रुपाली राव ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार और झूठा बताया है। उनका कहना है कि बृजपाल सिंह और उनका पक्ष एक दहेज हत्या के मामले में आरोपियों को बचाने के लिए दबाव बना रहा था।

उन्होंने स्पष्ट किया कि:

"मुझसे कहा गया कि फाइनल रिपोर्ट लगा दो या आरोपियों को फरार दिखा कर चार्जशीट दाखिल कर दो, लेकिन मैंने कानून सम्मत कार्यवाही का संकल्प लिया है।"

सीओ के अनुसार, फॉरेंसिक रिपोर्ट और अन्य सबूतों से आरोपियों की संलिप्तता सिद्ध होती है और उनके खिलाफ धारा 82 के तहत कुर्की की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगी, चाहे उन पर कोई भी राजनीतिक दबाव क्यों न हो।


राजनीतिक हलचल

भाजपा से जुड़े कैमिस्ट एसोसिएशन के नेता सुभाष चौहान ने बताया कि इस पूरे मामले की जानकारी राज्य सरकार के मंत्री कपिल देव अग्रवाल को भी दे दी गई है। वहीं बृजपाल सिंह का कहना है कि वे इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर सीओ के खिलाफ सबूत सौंपेंगे और कार्यवाही की मांग करेंगे।

इस प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय और सीएम पोर्टल पर दर्ज हो चुकी है, और जांच की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो चुकी है।


सवाल और संदेश

इस पूरे घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:

  • क्या पुलिस अफसर राजनीतिक दबाव में काम करें या कानून के अनुसार?
  • क्या रिश्वत के आरोप केवल एक जांच को प्रभावित करने की कोशिश हैं या इनमें सच्चाई है?
  • क्या भाजपा के भीतर ही अफसरशाही और कार्यकर्ताओं के बीच दूरी बढ़ती जा रही है?

निष्कर्ष:

अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री कार्यालय की जांच में सच्चाई किस पक्ष के साथ खड़ी होती है – एक कठोर और निडर महिला पुलिस अफसर के साथ या पीड़ितों और जनप्रतिनिधियों के साथ। लेकिन एक बात साफ है – यह मामला केवल एक अफसर की छवि से जुड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की पारदर्शिता और न्यायिक निष्ठा का भी इम्तिहान है।

✍️ "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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