-डीजी जेल, डीआईजी जेल, जेल मंत्री, राज्य मंत्री (जेल) व डीजी जेल के पीआरओ तक की जा चुकी है शिकायत, लेकिन कोई नहीं ले रहा संज्ञान
कैराना/शामली। जिला कारागार सैम नगर में निरुद्ध कैराना निवासी बंदी इनाम धुरी के साथ जेल मैनुअल के विरुद्ध की गई कार्यवाही को लेकर बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है। इस प्रकरण में बंदी के परिजनों द्वारा उत्तर प्रदेश के डीजी जेल, डीआईजी जेल, जेल मंत्री, राज्य मंत्री (जेल) और डीजी जेल के पीआरओ तक शिकायतें भेजी जा चुकी हैं, लेकिन अब तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिकायत के अनुसार, इनाम धुरी पुत्र अफ़ज़ल निवासी कैराना को मई 2025 में जिला कारागार सैम नगर में निरुद्ध किया गया था। जेल मैनुअल के अनुसार, नए बंदी को लगभग 10 दिन बाद नियमानुसार बैरक आवंटित की जाती है। परिजनों का आरोप है कि जेलकर्मियों ने इनाम धुरी से ₹50,000 लेकर बैरक पहले ही बदल दी। यह प्रक्रिया जेल के भीतर ‘गिनती काटना’ के नाम से जानी जाती है।
शिकायतकर्ता आसू चौधरी ने पत्र में लिखा है कि ईद-उल-अजहा से एक दिन पूर्व जेल अधीक्षक द्वारा औचक निरीक्षण किया गया, जिसमें केवल इनाम धुरी की ही तलाशी ली गई, जबकि उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक वस्तु या सामग्री बरामद नहीं हुई। इसके बावजूद लगभग 24 घंटे बाद प्रधान बंदीरक्षक व एक डिप्टी जेलर ने बंदी को सूचित किया कि वह अपना सामान लेकर तन्हाई बैरक में चला जाए।
परिजनों का कहना है कि यह पूरी कार्यवाही भेदभावपूर्ण व संदेहास्पद है। एक ओर बंदी से बड़ी धनराशि लेकर नियमविरुद्ध बैरक परिवर्तन किया गया, वहीं दूसरी ओर बिना किसी ठोस कारण के उसे तन्हाई बैरक में डाल दिया गया। शिकायत में मांग की गई है कि बंदी को तन्हाई बैरक से निकालकर सामान्य बैरक में रखा जाए, ₹50 हजार की वसूली की जांच कर उसे वापस दिलाया जाए, और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि यह शिकायत 13 जून 2025 को जेल महानिदेशक को भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक इस पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। इससे पीड़ित परिवार में आक्रोश व्याप्त है और जेल प्रशासन की निष्क्रियता पर कई सवाल उठ रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रदेश सरकार और जेल मुख्यालय इस प्रकरण पर क्या रुख अपनाते हैं। "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से पत्रकार गुलवेज आलम की रिपोर्ट
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