हरिनगर बिडौली का परशुराम चौक यातायात की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से यात्री बड़े-बड़े स्टेशनों के लिए बसें बदलकर अपने सफर पर निकलते हैं। इसी कारण यह स्थान हमेशा भीड़भाड़ और हलचल से भरा रहता है। लेकिन हाल के दिनों में यहां एक गंभीर समस्या ने स्थानीय लोगों की नींद हराम कर दी है — हरियाणा से आने वाली निजी बसों का अवैध संचालन।
परमिट सीमा के बाहर बसों की आवाजाही
मिली जानकारी के अनुसार, हरियाणा राज्य के करनाल जिले से कई निजी बसें सवारी लेकर परशुराम चौक तक आती हैं और यहां से सवारियां लेकर वापस लौट जाती हैं। इन बसों का परमिट केवल हरियाणा बॉर्डर की अंतिम सीमा तक ही मान्य है, जो परशुराम चौक से लगभग तीन किलोमीटर पहले समाप्त हो जाता है। इसके बावजूद, ये बसें बिना अनुमति के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती हैं।
पार्किंग व्यवस्था के अभाव में सड़क जाम
परशुराम चौक पर कोई पार्किंग सुविधा न होने के कारण, ये बसें अधिकतर सड़क किनारे खड़ी हो जाती हैं, जिससे आने-जाने वाले वाहनों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि रास्ता खाली करने के अनुरोध पर ड्राइवर और कंडक्टर कई बार गुंडागर्दी पर उतर आते हैं। यहां तक कि कई बार झगड़े भी हो चुके हैं।
ताज़ा घटना — धमकी और डर का माहौल
शनिवार सुबह की एक घटना ने स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया। ग्राम मंगलौरा निवासी सुधीर कुमार घरेलू सामान लेने परशुराम चौक आ रहे थे, तभी एक हरियाणा की निजी बस उनके रास्ते में खड़ी थी। सुधीर ने बस हटाने को कहा तो ड्राइवर ने इंकार कर दिया और धमकी दी। बाद में कुछ ग्रामीणों के समझाने पर बस को हटाया गया, लेकिन जाते-जाते ड्राइवर ने सुधीर को "देख लेने" की चेतावनी दे दी।
मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत
घटना से भयभीत होकर सुधीर कुमार, संजीव कुमार, दीपक और अन्य ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने मांग की है कि बिना परमिट यूपी में घुसने वाली इन बसों पर रोक लगाई जाए और जो लोग स्थानीय निवासियों से झगड़ा करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।स्थानीयों की मांग
- बिना परमिट बसों के यूपी में प्रवेश पर तत्काल रोक
- परशुराम चौक पर उचित पार्किंग व्यवस्था
- सड़क जाम और झगड़ों से बचाव के लिए स्थायी समाधान
- संबंधित ड्राइवरों और बस मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
यह मामला केवल परमिट उल्लंघन का ही नहीं, बल्कि सड़क सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था का भी है। समय रहते प्रशासन ने ध्यान न दिया, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।
✍ शाकिर अली
समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
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