15 वर्षों तक मंदिर में बना रहा 'महात्मा', असली पहचान निकली इमामुद्दीन अंसारी! शामली में फर्जी साधु का पर्दाफाश

✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम, प्रधान संपादक – समझो भारत राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📍 शामली (उत्तर प्रदेश)
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शामली।
धर्म और आस्था के इस देश में जब कोई सिर पर जटाएं रखे, भगवा वस्त्र पहने और मस्तक पर भस्म लगाए दिखता है, तो आमजन सहज रूप से उसे ‘संत’ मान लेते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के शामली जनपद से जो मामला सामने आया है, वह धर्म की इस सहजता पर एक गहरी चोट करता है।

गांव मंटी हसनपुर में लगभग 15 वर्षों से एक व्यक्ति “महात्मा” के रूप में मंदिर में निवास कर रहा था, जिसने न केवल गांववालों को धार्मिक भ्रम में रखा, बल्कि भूमि लेकर मंदिर निर्माण भी करवा डाला। अब खुलासा हुआ है कि यह व्यक्ति असल में पश्चिम बंगाल का निवासी इमामुद्दीन अंसारी है, जिसने फर्जी पहचान पत्र और नाम 'बंगाली नाथ' के माध्यम से गांववालों को ठगा।


कैसे हुआ भंडाफोड़?

गांव मंटी हसनपुर निवासी रामेश्वर के खेत में पिछले डेढ़ दशक से यह “महात्मा” डेरा जमाए हुए था। गांव के भोलेभाले लोग उसके आचरण, पूजा-पाठ और भेष-भूषा से इतने प्रभावित हो गए कि उसे संत का दर्जा दे डाला। उसकी बातों में आकर लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और मंदिर निर्माण हेतु भूमि भी दान कर दी।

संत के रूप में वह गांव में इतना लोकप्रिय हो चुका था कि उसे धार्मिक आयोजनों में बुलाया जाने लगा, और स्थानीय लोग उसके ‘आशीर्वाद’ को जीवन का संबल मानने लगे।

लेकिन कुछ समय पहले उसकी गतिविधियों और बातचीत के तरीके को लेकर कुछ जागरूक ग्रामीणों को संदेह हुआ। जब यह बात धीरे-धीरे अन्य लोगों तक पहुंची, तो थाना थानाभवन पुलिस को जानकारी दी गई।


पुलिस जांच में सामने आया सच

जैसे ही थानाभवन थाना प्रभारी निरीक्षक विजेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में जांच शुरू हुई, तो आधार कार्ड की फर्जी पहचान और मूल पहचान पत्रों के बीच विरोधाभास सामने आने लगा।

उसके पास जो आधार कार्ड था, उसमें नाम लिखा था – “बंगाली नाथ”, पता – शाकुम्बरी रोड, पानी की टंकी, लक्ष्मी नारायण मंदिर, सहारनपुर।

जब पुलिस ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की पहचान पत्र और दस्तावेजों को खंगाला, तब यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि उसकी असली पहचान इमामुद्दीन अंसारी के रूप में है, जो पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के कालचीनी थाना क्षेत्र, थाना लाइन मोहल्ला का निवासी है।


गिरफ्तारी और आगे की जांच

पुलिस ने तुरंत इमामुद्दीन को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर दिया। उस पर फर्जीवाड़ा, धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ और धोखाधड़ी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह रावत ने पुष्टि की कि,

“वह व्यक्ति अपने असली नाम और धर्म को छुपाकर फर्जी पहचान के साथ समाज को गुमराह कर रहा था। अब यह भी जांच की जा रही है कि कहीं उसके संपर्क किसी चरमपंथी या आपराधिक संगठनों से तो नहीं जुड़े थे।”


गांव में भय और विश्वासघात की भावना

गांव मंटी हसनपुर के लोगों में इस खुलासे के बाद आश्चर्य, पीड़ा और क्रोध तीनों ही भावनाएं देखी जा रही हैं। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा:

“हमने उसे भगवान का रूप समझा और उसकी सेवा में लग गए। उसने हमारी श्रद्धा को ठगा है।”


बड़े सवाल: क्या यह मामला केवल धोखाधड़ी का है?

अब यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा फर्जी पहचान बनाने तक सीमित नहीं रह गया है।

  • क्या इस पूरे प्रकरण के पीछे कोई साजिश थी?
  • क्या धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल किसी बड़े मकसद के लिए किया गया?
  • क्या यह रैडिकल नेटवर्किंग या धर्मांतरण की कोई योजना का हिस्सा था?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर अब पुलिस जांच से मिलेगा, लेकिन यह घटना एक सामाजिक चेतावनी जरूर है कि आस्था के नाम पर आंख मूंदकर किसी पर विश्वास करना कितना खतरनाक हो सकता है।


निष्कर्ष: आस्था के साथ सजगता भी जरूरी है

यह मामला केवल एक फर्जी ‘महात्मा’ के पकड़े जाने का नहीं, बल्कि उस मासूम श्रद्धा और सामाजिक भरोसे के शोषण की कहानी है, जो आज भी देश के छोटे-बड़े गांवों में जीवित है।

अब समय है कि समाज न केवल श्रद्धा रखे, बल्कि सच को भी परखे। क्योंकि नकली संतों का नकाब सिर्फ पुलिस नहीं, जागरूक नागरिक ही उतार सकते हैं।


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✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम
📍 मंडी हसनपुर, शामली
🗓️ 3 अगस्त 2025

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