कैराना पुलिस की बहादुरी बनी बेटियों की ढाल, अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई से कायम हुआ कानून का भयस्थानीय नागरिक गुलवेज़ आलम ने मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, “एंटी रोमियो टीम” गठित करने की मांग

कैराना। कस्बे में 26 जून को एक मासूम युवती के साथ हुई अपहरण और छेड़छाड़ की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। इस जघन्य अपराध के बाद आमजन में आक्रोश था, लेकिन कैराना पुलिस की त्वरित, निष्पक्ष और साहसिक कार्रवाई ने न केवल पीड़िता को न्याय की ओर बढ़ाया, बल्कि पूरे समाज में पुलिस के प्रति विश्वास और कानून के प्रति सम्मान को फिर से स्थापित किया। मुख्य आरोपी को मुठभेड़ में घायल कर गिरफ्तार किया गया, वहीं अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इस कार्रवाई में पुलिस ने जिस संवेदनशीलता और तत्परता का परिचय दिया, वह वास्तव में सराहनीय है।इस पूरे अभियान को सफल बनाने में कई अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिनमें पुलिस अधीक्षक शामली रामसेवक गौतम का नेतृत्व सबसे अग्रणी रहा। उन्होंने पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर रखते हुए प्रभावी दिशा-निर्देश दिए। क्षेत्राधिकारी कैराना श्याम सिंह की रणनीतिक समझ और अनुभव ने पुलिस टीम को प्रभावी कार्रवाई हेतु प्रेरित किया। प्रभारी निरीक्षक कोतवाली कैराना धर्मेंद्र सिंह ने अपनी टीम को सतर्कता और दृढ़ निश्चय के साथ मोर्चे पर लगाया। वहीं चौकी प्रभारी किला गेट  विनोद कुमार माधव और उनकी टीम ने क्षेत्र में लगातार गश्त कर अपराधियों की घेराबंदी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सभी अधिकारियों और उनकी समर्पित टीम ने जो साहस और कर्तव्यनिष्ठा दिखाई, वह प्रदेश पुलिस के लिए एक आदर्श है।इस घटना के बाद स्थानीय नागरिक गुलवेज़ आलम, पुत्र स्व. मुहम्मद सलीम, निवासी मोहल्ला आलकला, मायापुर रोड, कैराना ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को संबोधित एक ज्ञापन भेजा है। उन्होंने ज्ञापन में न केवल पुलिस की प्रशंसा की है, बल्कि उपरोक्त सभी अधिकारियों को राज्य स्तर पर सम्मानित कर पुरस्कार देने की मांग की है, ताकि ऐसे कर्मठ और संवेदनशील अधिकारियों को प्रोत्साहन मिले और प्रदेश भर की पुलिस टीमों को प्रेरणा प्राप्त हो।
इसके साथ ही गुलवेज़ आलम ने कैराना और आस-पास के क्षेत्रों में "एंटी रोमियो टीम" के गठन की भी पुरजोर मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि यह टीम स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग संस्थानों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर नियमित गश्त करे, ताकि बहन-बेटियों को सुरक्षित माहौल मिल सके। उन्होंने विशेष रूप से यह भी उल्लेख किया कि इस टीम में महिला पुलिसकर्मियों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि महिलाओं को पुलिस से सीधा संवाद और सहयोग प्राप्त हो सके।गुलवेज़ आलम की यह मांग पूर्णतः गैर-राजनीतिक, सामाजिक और जनहित से प्रेरित है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका उद्देश्य केवल इतना है कि हमारी बेटियां और बहनें भयमुक्त होकर अपने सपनों को साकार कर सकें और समाज में हर महिला खुद को सुरक्षित महसूस करे। क्षेत्र के लोगों ने भी इस ज्ञापन का स्वागत किया है और इसे एक जागरूक नागरिक की जिम्मेदार पहल करार दिया है। अब यह देखना शेष है कि प्रदेश सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या वाकई इन जांबाज़ अधिकारियों को उनके साहस और कर्तव्यपरायणता के लिए सम्मानित किया जाएगा। "समझो भारत" राष्ट्रीय समाचार पत्रिका से इमरान अब्बास 
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