डीएम उमेश मिश्रा ने जनसुनवाई में फरियादियों की सुनी पीड़ा, तत्काल निस्तारण के दिए निर्देश

मुजफ्फरनगर। जिला पंचायत सभागार में गुरुवार को आयोजित जनसुनवाई में जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने जनपदभर से आए दर्जनों फरियादियों की समस्याएं गंभीरता से सुनीं और उनके त्वरित व गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही स्पष्ट और सख्त निर्देश दिए। डीएम मिश्रा की संवेदनशीलता और अनुशासित कार्यशैली एक बार फिर जनता के बीच सराहना का विषय बन गई।

जनसुनवाई में भूमि विवाद, पेंशन, आवास, राशन, पारिवारिक विवाद, राजस्व संबंधित प्रकरणों सहित कई प्रकार की शिकायतें सामने आईं। जिलाधिकारी ने प्रत्येक शिकायत को गंभीरता से सुना और कहा कि शासन की मंशा है कि आमजन को न्याय और समाधान बिना किसी भटकाव के मिले। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी प्रशासनिक अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करें कि जो शिकायतें विभागीय स्तर पर हल हो सकती हैं, उनका निस्तारण कार्यालय स्तर पर ही किया जाए और फरियादियों को बार-बार डीएम कार्यालय आने की आवश्यकता न पड़े।

डीएम उमेश मिश्रा ने जनसुनवाई में हेल्पडेस्क की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाने पर बल देते हुए कहा कि तहसील, ब्लॉक और अन्य कार्यालयों पर हेल्पडेस्क को सक्रिय किया जाए ताकि शिकायतकर्ता को सीधे डीएम कार्यालय न आना पड़े। उन्होंने कहा कि अधिकारी संवेदनशीलता के साथ आमजन की समस्याएं सुनें और पूरी ईमानदारी से उनके समाधान में तत्परता दिखाएं, ताकि जनता का प्रशासन पर भरोसा और मजबूत हो।

जनसुनवाई के दौरान डीएम मिश्रा का व्यवहार पूरी तरह मानवीय रहा, लेकिन शिकायतों के समाधान में किसी भी प्रकार की लापरवाही पर उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि देरी अथवा उदासीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्रत्येक शिकायत का समाधान समयबद्ध व गुणवत्ता के साथ किया जाना अनिवार्य है।

फरियादियों ने भी डीएम की इस कार्यशैली की खुलकर सराहना की। लोगों ने कहा कि जिलाधिकारी ने न सिर्फ समस्याएं गंभीरता से सुनीं बल्कि समाधान के लिए मौके पर ही आदेश देकर यह साबित कर दिया कि वह वास्तव में जनहित में कार्य कर रहे हैं।

जनता के बीच प्रशासन को लेकर जो विश्वास और उम्मीदें होती हैं, उसे डीएम उमेश मिश्रा अपनी कार्यशैली से लगातार और मजबूत करते जा रहे हैं। उनकी यह जनसुनवाई प्रशासनिक उत्तरदायित्व का उदाहरण ही नहीं, बल्कि जनसेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का परिचायक भी है। समझोभारत से - गुलवेज़ आलम 
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