ऊन चीनी मिल की एथेनॉल यूनिट पर छापा — किसानों की यूरिया खाद का दुरुपयोग उजागर

✍️ शौकीन सिद्दीकी | कैमरे पर: रामकुमार चौहान
📍 झिंझाना, जनपद शामली


शामली, 27 जून 2025
शामली जनपद के ऊन क्षेत्र स्थित सुपीयिर फूड ग्रेन्स प्राइवेट लिमिटेड (ऊन चीनी मिल) की एथेनॉल यूनिट एक बड़े विवाद में घिर गई है। इस यूनिट में किसानों को फसलों के लिए दी जाने वाली यूरिया खाद का दुरुपयोग कर एथेनॉल उत्पादन में प्रयोग किए जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

डीएम के निर्देश पर आधी रात को छापा

जैसे ही यह सूचना जिलाधिकारी अरविंद कुमार चौहान को मिली, उन्होंने तुरंत एक तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम का गठन किया। टीम में जिला कृषि अधिकारी प्रदीप कुमार, तहसीलदार ऊन मृदुला, और सीओ थानाभवन जितेंद्र सिंह को शामिल किया गया। यह टीम बुधवार रात करीब 9 बजे ऊन स्थित एथेनॉल यूनिट पर पहुंची और छापा मारा।

छापे में मिले यूरिया खाद के बोरे

छापे के दौरान टीम को यूनिट परिसर से किसानों की खेती के लिए निर्धारित यूरिया खाद के 6 भरे हुए बोरे और 10 खाली बोरे बरामद हुए। यह यूरिया आमतौर पर किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराया जाता है, जिससे उनकी फसलें पोषित होती हैं। परंतु यहां इसे उद्योगिक उत्पादन में प्रयोग किया जा रहा था, जो फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर और आवश्यक वस्तु अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।

दो घंटे तक चली जांच, कर्मचारियों से पूछताछ

टीम ने लगभग दो घंटे तक यूनिट में गहन जांच-पड़ताल की। वहाँ कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ की गई और मौके से मिले साक्ष्यों को जब्त कर झिंझाना थाने को सुपुर्द कर दिया गया।

गंभीर धाराओं में दर्ज हुई रिपोर्ट

जांच पूरी होने के बाद डीएम को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर, जिला कृषि अधिकारी प्रदीप कुमार की ओर से यूनिट के प्रबंधन के खिलाफ झिंझाना थाने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर समेत कई गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इससे अब यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि प्रशासन इस तरह की गतिविधियों को लेकर कोई नरमी नहीं बरतेगा।


बड़े सवाल:

  • क्या यह मामला सिर्फ एक यूनिट तक सीमित है या और भी औद्योगिक इकाइयाँ किसानों के अधिकारों का शोषण कर रही हैं?
  • प्रशासन की निगरानी प्रणाली में यह खामी कैसे छुपी रही?
  • किसानों को दी जाने वाली खाद के दुरुपयोग से उनकी फसलों पर क्या असर पड़ेगा?

जनता की आवाज और प्रशासन का कर्तव्य

किसानों की खाद जैसे संसाधनों को उद्योगों में प्रयोग करना न सिर्फ कानूनी अपराध है, बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से भी निंदनीय है। इससे न केवल किसानों की उपज प्रभावित होती है, बल्कि खाद की कृत्रिम किल्लत भी बढ़ती है, जिससे ब्लैक मार्केटिंग को बल मिलता है।

अब आगे क्या?

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और कठोरता बरतता है। क्या दोषियों को कड़ी सज़ा मिलेगी? क्या किसानों को उनके नुकसान की भरपाई होगी?


📢 समझो भारत न्यूज़ की इस विशेष रिपोर्ट के लिए
🖋 शौकीन सिद्दीकी | जिला ब्यूरो चीफ, शामली
📸 रामकुमार चौहान | कैमरामैन
📍 झिंझाना लाइव कवरेज | दिनांक: 27 जून 2025
💬 "आवाज़ उठाइए, सच से समझौता नहीं।"



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